50+ Dayanand Saraswati Quotes in Hindi and English । स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल विचार

भारत संतों और गुरुओं की भूमिका रही है, हर सदी में भारत की पुण्यभूमि पर कई ऐसे महान संत, भारतीय दार्शनिक और समाज सुधारक हुए हैं, जिनके दिखाए मार्ग को अपनाकर समाज का कल्याण हुआ। ऐसे ही महान भारतीय दार्शनिक और समाज सुधारकों में से एक महर्षि दयानंद सरस्वती जी थे, जिन्होंने ‘आर्य समाज’ (Arya Samaj) की स्थापना करके भारतीयों की धार्मिक धारणा में प्रमुखता से बदलाव किया था। महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों ने समाज को सदा ही प्रेरित करने का काम किया है। इस ब्लॉग में आप स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल विचार (Dayanand Saraswati Quotes in Hindi) पढ़ने का अवसर मिलेगा, ये विचार आपको उनके जीवन के बारे में बताने के साथ-साथ, आपको सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देंगे। साथ ही ये विचार आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सफल प्रयास करेंगे।

  1. इंसान को दिया गया सबसे बड़ा संगीत यंत्र आवाज है।
  2. आत्मा अपने स्वरुप में एक है, लेकिन उसके अस्तित्व अनेक हैं।
  3. सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो।
  4. भगवान का ना कोई रूप है ना रंग है। वह अविनाशी और अपार है, जो भी इस दुनिया में दिखता है वह उसकी महानता का वर्णन करता है।
  5. किसी भी रूप में प्रार्थना प्रभावी है क्योंकि यह एक क्रिया है इसलिए इसका परिणाम होगा। यह इस ब्रह्मांड का नियम है जिसमें हम खुद को पाते हैं।
  6. नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना। वो आपको सही मायने में विजेता बनाता है।
  7. आप दूसरों को बदलना चाहते हैं ताकि आप आजाद रह सकें लेकिन, ये कभी ऐसे काम नहीं करता। दूसरों को स्वीकार करिए और आप मुक्त हैं।
  8. अगर आप पर हमेशा ऊंगली उठाई जाती रहे तो आप भावनात्मक रूप से अधिक समय तक खड़े नहीं हो सकते।
  9. गीत व्यक्ति के मर्म का आह्वान करने में मदद करता है और बिना गीत के मर्म को छूना मुश्किल है।
  10. धन एक वस्तु है जो ईमानदारी और न्याय से कमाई जाती है, इसका विपरीत है अधर्म का खजाना।
  11. प्रबुद्ध होना- ये कोई घटना नहीं हो सकती. जो कुछ भी यहाँ है वह अद्वैत है. ये कैसे हो सकता है? यह स्पष्टता है।
  12. कोई मूल्य तब मूल्यवान है जब मूल्य का मूल्य स्वंय के लिए मूल्यवान हो।
  13. जीह्वा को उसे व्यक्त करना चाहिए जो ह्रदय में है।
  14. महर्षि दयानंद सरस्वती स्वाधीनता संग्राम के सर्वप्रथम योद्धा और हिन्दूजाति के रक्षक थे, उनके द्वारा स्थापित आर्यसमाज ने राष्ट्र को महान सेवा की है। स्वतंत्रता के संग्राम में आर्यसमाजियों का बड़ा हाथ रहा है।
  15. मैंने राष्ट्र, जाति तथा समाज की जो सेवा की है उसका श्रेय महर्षि दयानंद सरस्वती को प्राप्त है। मैंने जो कुछ प्राप्त किया है, उसमें सबसे बड़ा हाथ उस सर्वहितैषी, वेदज्ञ और तेजस्वी युगद्रष्टा का है। मुझे उस स्वतंत्र विचारक का शिष्य होने में अभिमान है।
  16. दयानंद सरस्वती ने हमें सिखाया कि वैदिक धर्म की शुद्धता और शक्ति में ही भारत की सच्ची स्वतंत्रता निहित है। उनके विचार हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हुए।
  17. स्वामी दयानंद ने जिस प्रकार समाज में जागरूकता और वैदिक ज्ञान का प्रचार किया, वह अद्वितीय है। उनकी शिक्षाएँ भारतीय समाज को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाली हैं।
  18. स्वामी दयानंद ने भारत के युवाओं को आत्मसम्मान, स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की शिक्षा दी। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे।
  19. महर्षि दयानंद ने हमें हमारे प्राचीन वैदिक ज्ञान और संस्कृति की ओर लौटने की प्रेरणा दी। उनका जीवन और उनके सिद्धांत हर भारतीय के लिए अनुकरणीय हैं।
  20. स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज से जातिवाद और भेदभाव मिटाने का जो संकल्प लिया, वह हर युग के लिए अनुकरणीय है।
  21. स्वामी दयानंद ने समाज को नई दिशा दी और लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया। उनकी शिक्षाएँ हमें अपने अतीत से जोड़ती हैं और भविष्य की दिशा दिखाती हैं।
  22. दयानंद सरस्वती का आर्य समाज भारतीय समाज में नई चेतना और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना।
  23. हमें अज्ञान को दूर करना चाहिए और ज्ञान को बढ़ावा देना चाहिए।
  24. ईश्वर समस्त सत्य ज्ञान और ज्ञान से ज्ञात होने वाली सभी बातों का कारण है।
  25. सत्य को ग्रहण करने और असत्य को त्यागने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
  26. सभी के प्रति हमारा आचरण प्रेम, धार्मिकता और न्याय से निर्देशित होना चाहिए।
  27. किसी को भी केवल अपना भला करने से संतुष्ट नहीं होना चाहिए; इसके विपरीत, सभी का भला करने में अपना भला देखना चाहिए।
  28. मनुष्य को हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए, चाहे राह में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं।
  29. वह अच्छा और बुद्धिमान है जो हमेशा सच बोलता है, धर्म के अनुसार काम करता है और दूसरों को उत्तम और प्रसन्न बनाने का प्रयास करता है।
  30. वेदों का अध्ययन जीवन में सही दिशा देता है, क्योंकि वे सत्य और धर्म का स्रोत हैं।
  31. सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती, सत्य स्वयं में सिद्ध होता है।
  32. भारत भारतीयों का है, और हमें किसी भी विदेशी शासन को स्वीकार नहीं करना चाहिए।
  33. स्वाधीनता मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, इसे किसी भी स्थिति में छीना नहीं जा सकता।
  34. जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है वह परिपक्कव है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति के जीने में ही आत्म-विकास निहित होता है।
  35. सभी मनुष्य जन्म से समान हैं, किसी के साथ जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
  36. प्रत्येक मनुष्य को अपनी धार्मिक और राजनीतिक स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए।
  37. शासन का उद्देश्य केवल शासन करना नहीं, बल्कि जनकल्याण करना होना चाहिए।
  38. दुनिया को अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिये और आपके पास सर्वश्रेष्ठ लौटकर आएगा।
  39. जो देश आत्मनिर्भर नहीं होता, वह कभी स्वतंत्र नहीं रह सकता।
  40. सच्चा धर्म वही है, जो राष्ट्र और समाज की सेवा में समर्पित हो।
  41. स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग ही सच्ची देशभक्ति है।
  42. मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र ज्ञान है और सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान।
  43. सच्चा ज्ञान वही है, जो आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए।
  44. शिक्षा का उद्देश्य केवल रोज़गार प्राप्त करना नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और आत्मज्ञान प्राप्त करना है।
  45. शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को केवल विद्वान बनाना नहीं, बल्कि उसे सद्गुणी और नैतिकता से युक्त बनाना है।
  46. हर मनुष्य का अधिकार है कि वह शिक्षा प्राप्त करे, चाहे उसका जन्म किसी भी वर्ग या जाति में क्यों न हुआ हो।
  47. अज्ञानता ही सभी बुराइयों की जड़ है, और शिक्षा का कार्य है इस अंधकार को समाप्त करना।
  48. यदि स्त्रियों को शिक्षा से वंचित रखा गया, तो समाज का आधा हिस्सा हमेशा अंधकार में रहेगा।
  49. विद्यार्थियों को मातृभाषा में शिक्षा देना ही सही ज्ञान का आधार है।
  50. वेदों का ज्ञान ही मानवता के कल्याण का मार्ग दिखाता है।
  51. अज्ञानी होना गलत नहीं है, अज्ञानी बने रहना गलत है।
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