रहीम के 10 अनमोल दोहे: अर्थ और जीवन दर्शन
रहीम, जिन्हें अब्दुर्रहीम खानखाना के नाम से भी जाना जाता है, मध्यकालीन भारत के एक महान कवि, सेनापति और विद्वान थे। वे अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे और अपनी नीति, दर्शन और जीवन के अनुभवों पर आधारित दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके दोहे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे। उनकी भाषा सरल और सहज है, जो जीवन के गूढ़ सत्यों को आसानी से समझ में आने वाले रूप में प्रस्तुत करती है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम रहीम के 10 सबसे प्रसिद्ध दोहों को उनके अर्थ के साथ जानेंगे, और यह समझने की कोशिश करेंगे कि वे आज भी हमारे जीवन में कैसे मार्गदर्शन कर सकते हैं:
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का बंधन एक नाजुक धागे के समान होता है। इसे झटके से नहीं तोड़ना चाहिए। यदि एक बार यह धागा टूट जाता है, तो यह फिर से जुड़ नहीं पाता, और यदि जुड़ भी जाए तो इसमें एक गाँठ पड़ जाती है, जो रिश्ते में खटास पैदा कर सकती है।
व्याख्या: यह दोहा प्रेम और रिश्तों की नाजुकता पर प्रकाश डालता है। रहीम हमें रिश्तों को सावधानीपूर्वक बनाए रखने और उन्हें किसी भी तरह की ठेस से बचाने की सलाह देते हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि एक बार विश्वास टूट जाने के बाद, रिश्ते को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल होता है और हमेशा कुछ न कुछ कसर रह जाती है।
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि पानी को बचाकर रखिए, क्योंकि बिना पानी के सब कुछ सूना है। पानी चले जाने पर मोती, मनुष्य और आटा (चून) किसी काम के नहीं रहते।
व्याख्या: इस दोहे में रहीम ‘पानी’ शब्द का प्रयोग तीन अलग-अलग अर्थों में करते हैं:
- मोती के लिए: चमक (Luster)
- मनुष्य के लिए: इज्जत (Honor)
- आटे के लिए: जल (Water)
रहीम का तात्पर्य है कि जिस प्रकार पानी के बिना आटा बेकार है, चमक के बिना मोती का कोई मोल नहीं, उसी प्रकार इज्जत के बिना मनुष्य का जीवन भी व्यर्थ है। हमें अपने मान-सम्मान और इज्जत को बनाए रखना चाहिए। साथ ही, हमें पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह जीवन के लिए आवश्यक है।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
बिपति कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि जब आपके पास संपत्ति और धन होता है, तो बहुत से लोग आपसे रिश्ते बनाते हैं और आपसे मिलने आते हैं। लेकिन सच्चे मित्र वही होते हैं जो विपत्ति के समय आपकी मदद करते हैं।
व्याख्या: यह दोहा सच्चे मित्रों की पहचान बताता है। रहीम हमें याद दिलाते हैं कि सुख में तो सब साथ देते हैं, लेकिन दुख में जो साथ खड़ा रहता है, वही सच्चा मित्र होता है। हमें ऐसे लोगों को पहचानना चाहिए और उन्हें महत्व देना चाहिए।
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि बड़े लोगों को देखकर छोटे लोगों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जहाँ सुई का काम होता है, वहाँ तलवार क्या कर सकती है?
व्याख्या: इस दोहे में रहीम हमें सिखाते हैं कि हर चीज का अपना महत्व होता है। हमें कभी भी किसी को कम नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति में कुछ न कुछ खास गुण होते हैं। हर वस्तु की अपनी उपयोगिता होती है, और हमें परिस्थिति के अनुसार उसका उपयोग करना चाहिए।
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि जब बुरे दिन चल रहे हों, तो चुपचाप बैठना ही बेहतर होता है। जब अच्छे दिन आएंगे, तो सब कुछ अपने आप ठीक होने लगेगा।
व्याख्या: यह दोहा हमें धैर्य रखने की सीख देता है। रहीम हमें बताते हैं कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। बुरे समय में हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और धैर्य से काम लेना चाहिए। समय बदलने पर अच्छे दिन अवश्य आएंगे।
रहिमन विपदा हू भली, जो थोड़े दिन होय।
हित-अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि विपत्ति भी अच्छी होती है, यदि वह थोड़े समय के लिए हो। क्योंकि विपत्ति में ही इस संसार में कौन हितैषी है और कौन नहीं, यह पता चलता है।
व्याख्या: यह दोहा विपत्ति के महत्व को उजागर करता है। रहीम हमें बताते हैं कि विपत्ति हमें सिखाती है कि हमारे आसपास कौन सच्चे लोग हैं और कौन केवल दिखावा करते हैं। विपत्ति के समय ही हमें अपने सच्चे मित्रों और शुभचिंतकों की पहचान होती है।
रहिमन ओछे नरन सो, बैर भलो ना प्रीति।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भांति विपरीत।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि ओछे (कम बुद्धि वाले) लोगों से न तो बैर अच्छा होता है और न ही प्रेम। कुत्ते के काटने और चाटने, दोनों ही स्थितियां हानिकारक होती हैं।
व्याख्या: यह दोहा हमें नीच लोगों से दूर रहने की सलाह देता है। रहीम हमें बताते हैं कि ओछे लोगों से न तो दुश्मनी ठीक है और न ही दोस्ती, क्योंकि वे हमेशा नुकसान पहुंचाते हैं। उनकी मित्रता में भी छल और कपट की संभावना बनी रहती है।
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बांटि न लैहै कोय।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि अपने मन के दुख को अपने मन में ही छिपा कर रखो। दूसरे सुनकर खुश होंगे, पर कोई उसे बांट नहीं लेगा।
व्याख्या: यह दोहा हमें अपनी परेशानियों को दूसरों से साझा करने में सावधानी बरतने की सलाह देता है। रहीम हमें बताते हैं कि लोग अक्सर दूसरों के दुखों को सुनकर खुश होते हैं, लेकिन वास्तव में कोई भी आपके दुख को कम नहीं कर सकता। इसलिए, अपनी परेशानियों को अपने तक ही सीमित रखना बेहतर है।
रहिमन वे नर मर चुके, जे कछु मांगन जाहि।
उनते पहले वे मुए, जिन्ह मुख निकसत नाहि।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि वे लोग मर चुके हैं जो कुछ मांगने के लिए जाते हैं। उनसे पहले वे लोग मर चुके हैं जिनके मुख से ‘ना’ नहीं निकलता है (जो देने से इनकार करते हैं)।
व्याख्या: इस दोहे में रहीम दान देने के महत्व को बताते हैं। वे कहते हैं कि मांगने वाले से ज्यादा मरने वाला वह है जो देने में असमर्थ है या जो देना नहीं चाहता। दान देने से इनकार करने वाले का हृदय कठोर हो जाता है, और वह मानवता से दूर हो जाता है।
रहिमन पानी को जानिए, बड़ेन के काम।
छोटा सो जो डगमगी, तुरत हलाहल दाम।।
अर्थ: रहीम कहते हैं कि पानी का महत्व बड़े लोगों (ऊंचे स्तर के लोगों) के लिए होता है। छोटे लोगों के लिए पानी डगमगाता हुआ (अस्थिर) होता है और तुरंत विष (हलाहल) का दाम बन जाता है।
व्याख्या: इस दोहे की व्याख्या थोड़ी जटिल है और इसके कई अर्थ निकाले जा सकते हैं। एक अर्थ यह है कि पानी (सम्मान) का महत्व शक्तिशाली लोगों के लिए अधिक होता है, क्योंकि उनकी एक छोटी सी गलती भी बहुत बड़ा नुकसान कर सकती है। वहीं छोटे लोगों के लिए, सम्मान उतना मायने नहीं रखता, क्योंकि उनकी गलतियों का परिणाम भी उतना ही छोटा होता है। दूसरा अर्थ यह हो सकता है कि पानी (धन) का उपयोग बड़े कार्यों के लिए किया जाना चाहिए, जबकि छोटे-मोटे कामों के लिए उसका उपयोग करना व्यर्थ है।
रहीम के दोहे न केवल ज्ञानवर्धक हैं, बल्कि वे हमें जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखने के लिए भी प्रेरित करते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि कैसे हम रिश्तों को मजबूत बना सकते हैं, विपत्तियों का सामना कर सकते हैं, और अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। रहीम के दोहे आज भी हमारे जीवन में मार्गदर्शन करते हैं और हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं।
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