aakhir kyon
समय का काम है चलते रहना। हम इन्सान जब कभी चलते – चलते थक जाते हैं तो रुक कर आराम कर लेते हैं और फिर चलते हैं। लेकिन समय ऐसा नहीं है, उसको तो बस चलते ही रहना है। आज मुझे एक छोटे से बच्चे की कहानी याद आ गयी।
रेहान छः साल का था जब अचानक ही वह एक दिन दोपहर के समय घर से निकल गया। वह एक छोटी – सी पगडंडी पर चल पड़ा। असमान में सूरज अपनी गर्मी में था। लेकिन रेहान को सूरज की कोई परवाह नहीं था। वह छोटे – छोटे कदम उठाते हुए चला जा रहा था। वह तो यह भी नहीं सोच पाया जब उसकी माँ घर आएगी और उसको न पाकर जब परेशां होगी तो क्या होगा।
वह यही सोचता हुआ चला जा रहा था कि आखिर माँ हमेशा अनवर को ही क्यों इतना प्यार करती है। वह तो उससे बहुत बड़ा है और अपना ख्याल खुद से ही रख सकता है। लेकिन फिर भी माँ हर वक़्त उसका ही ध्यान रखती है। माँ को मेरा बिलकुल ही फ़िक्र नहीं है। वह अनवर के लिए मिठाईयां, नए कपड़े और खिलौने लाती है। पर उसके लिए कुछ नहीं लाती, और अगर वह अनवर से कुछ लेना चाहता तो उसके बांह को पकड़ कर झिड़क देती हैं।
To be continued …………..