Tarannum Ek Yaad
Tarannum Ek Yaad in Hindi
न जाने क्यों उस तरन्नुम के नदी में डूब कर मर जाने से मेरे मन को एक ठेस लगा। तरन्नुम सिर्फ नदी की मिट्टी लेने ही तो गयी थी। सुबह जब मैं उसको देखा था तो उसके चहरे पर एक मुस्कान थी। कितना खुबसूरत था वह मुस्कराहट, ऐसा लगता था कि जैसे ज़िन्दगी की खूबसूरती अगर देखनी हो तो वह इन्सान तरन्नुम के चेहरे को देख लेता। खिलखिलाती हुयी हंसी, ज़िन्दगी के सारे उमंग उसके मासूम चेहरे पर देखे जा सकते थे। कौन जनता था कि यह उसके चेहरे पर आई हुयी आखिरी मुस्कराहट है। और शायद इसे फिर कोई नहीं देख पायेगा।
अभी दो महीने पहले ही उसकी मंगनी हुयी थी। उसकी उम्र सिर्फ उन्नीस साल था। कोई बनावट नहीं, गाँव की रहने वाली एक सीधी – साधी लड़की, जिसे अपने सहेलियों के साथ खेलना और घूमना पसंद था। वह अपने सहेलियों के साथ पेड़ों पर चढ़ती, गर्मियों के दोपहरी में घूमती रहती। नदी के किनारे जाना, टहलना और कभी अकेले पेड़ों से बातें करना। ये सब बातें उसे शदीद पसंद था। इस दौड़ती – भागती, मसरूफियत भरी दुनिया में न जाने कहाँ से आ गयी थी। कितनी मासूमियत थी उसकी बातों में।
मम्मी कभी माना करती तो कहती, “घुमने दो ना माँ। आप सबसे अच्छी माँ हो।”
फिर उसकी माँ कहती, “तुम्हारे पापा मुझे इसके लिए डाँटते है उसका क्या? बताओ मुझे।”
“तो क्या हुआ माँ, मैं तो आपकी सबसे प्यारी बेटी हूँ।” तरन्नुम अपनी माँ के गले में बाँहें डालते हुए कहती।
और उसके प्यार पर माँ का सारा गुस्सा गायब हो जाता।
गर्मियों की एक दोपहरी को जब सूरज अपने तेज़ पर था तरन्नुम और उसकी सहेलियां, नदी से मिट्टी लेने जाने की तैयारी करने लगी। सेजवान के लोगों का मानना था की नदी के मिट्टी से लिपाई और पुताई करने से घर मजबूत और सुन्दर हो जाता है। लगभग सभी लोग ही अपने घरों को उस नदी के मिट्टी से सँवारते हैं। मिट्टी निकालने के लिए वो लोग नदी के अन्दर घुस कर नदी के तलहटी तक जाते थे। मिट्टी निकलते हुए कभी कोई बात नहीं हुयी थी। पर आज तरन्नुम के साथ यह हादसा हो गया। तरन्नुम नदी में पानी के ऊपर होने वाले, तरह – तरह के घास – फूस और जलकुम्भी के बीच फंस गयी, उसकी सहेलियां दूर थी। वो सब अपने लिए मिट्टी निकालने में मसरूफ थी।
तरन्नुम उन झाड़ियों में ऐसे फंसी की आवाज़ भी नहीं दे पायी। और फिर काफी देर बाद जब उसकी सहेलियों ने उसे नहीं पाया तो लोगों को बुला लायी। कुछ लोग नदी में कूद पड़े और चारो तरफ ढूँढना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद उन्हें तरन्नुम का शरीर मिल गया था। पर अब उस शरीर में कोई जान नहीं थी। अब तरन्नुम की वो हंसी दुनिया वाले नहीं देख पायेंगें। माँ की जो शिकायत थी उससे अब नहीं रहेगी। अब सारी कहानियां जो तरन्नुम से जुड़ी थी ख़त्म हुयी।
काश की उस दिन तरन्नुम नदी से मिट्टी लेने नहीं जाती। काश की सेजवान के लोग नदी के मिट्टी से घर को नहीं सँवारते। काश की वो अपने सहेलियों के आस – पास ही रहती। पर नहीं, शायद उसका इसी तरीके से अंत था।
चलो एक और कहानी जो की अभी एक तरह से पूरी नहीं थी, अपने – आप में पूरी हो कर ख़त्म हुयी।
न जाने कितनी ही तरन्नुम इस दुनिया में आती हैं और समय उनकी कहानी को अधूरा ही छोड़ देता है। उनकी कहानी कभी पूरी नहीं होती, और अगर होती भी है तो बस कहीं किसी के एहसास में। पर अब कोई एहसास करता कहाँ है। काश इस कहानी को समय मुकम्मल कर देता …..।
Listen Tarannum Ek Yaad
Tarannum Ek Yaad in English
I don’t know why the thought of Tarannum drowning in that river struck a chord in my heart. Tarannum had only gone to collect some riverbank soil. When I saw her in the morning, there was a smile on her face. How beautiful that smile was; it seemed as if anyone wanting to see the beauty of life could just look at Tarannum’s face. Her laughter was infectious, and all the joys of life could be seen on her innocent face. Who knew that this was the last smile that would grace her face? Perhaps no one would see it again.
Just two months ago, she had gotten engaged. She was only nineteen years old. There was no pretense about her; she was a simple girl from the village who loved to play and roam around with her friends. She would climb trees with her friends and wander around during the hot summer afternoons. Going to the riverbank, taking walks, and sometimes talking to the trees alone were all things she loved dearly. In this fast-paced, busy world, she seemed to have come from somewhere else. There was such innocence in her words.
Whenever her mother would agree, she would say, “Let her roam, Mom. You are the best mom ever.” Then her mother would reply, “What about your father? He scolds me for this.” “So what, Mom? I am your most beloved daughter,” Tarannum would say, wrapping her arms around her mother’s neck. And all of her mother’s anger would vanish in the warmth of her love.
She began to prepare. The people of Sejwan believed that plastering and painting their homes with the river’s mud made them strong and beautiful. Almost everyone adorned their homes with that river mud. To extract the mud, they would wade into the river and go down to the riverbed. There had never been any incidents while extracting mud. But today, an accident happened with Tarannum. She got caught among the various grasses and water hyacinths floating on the river, while her friends were far away, busy collecting mud for themselves.
Tarannum was trapped in those bushes and couldn’t even call for help. After a long time, when her friends couldn’t find her, they called for help. Some people jumped into the river and began searching all around. After some time, they found Tarannum’s body. But now, there was no life left in that body. The world would no longer see her laughter. The complaints her mother had would now cease to exist. All the stories connected to Tarannum had come to an end.
If only Tarannum hadn’t gone to the river that day to collect mud. If only the people of Sejwan didn’t beautify their homes with the river mud. If only she had stayed close to her friends. But no, perhaps this was how her end was meant to be.
Here ends another story that, in a way, was not yet complete, but has now concluded on its own. Who knows how many Tarannums come into this world, and time leaves their stories unfinished. Their stories never truly complete, and even if they are, it is only in someone’s memory. But now, who truly remembers? If only time could complete this story…