झूटा प्यार | Jhoota Pyaar

Chapter 1

उस दिन कॉल करते वक्त गलती से एक नंबर गलत हो गया था। रिंग होने लगी, थोड़ी देर बाद एक बहुत ही प्यारी सी आवाज़ सुनाई दिया।

“हेल्लो, कौन?” मैं जल्दी से बोला “क्या मेरी बात अनीता जी से हो रही है?”

जवाब मिला, “नहीं, यह रॉंग नंबर लगा है। यहाँ कोई अनीता जी नहीं रहती हैं। और मुझे पता है की आपने जानबूझकर मेरा नंबर लगाया है। इतना ही लड़कियों से बात करना है तो शादी कर लीजिये। यूँ रॉंग नंबर मिलाकर लोगों को परेशां करना कोई अच्छी बात नहीं है।”

मेरे तो होश गुम हो गए। मुझे क्या पता था की इतनी सारी बातें सुनने को मिल जाएगी। मैं अनीता जी को कॉल मिलाया था। मेरे दोस्त ने उनका नंबर दिया था। मुझे तो बस जॉब के सिलसिले में बात करना था।

मैं जल्दी से बोला, “मुझे माफ़ कीजियेगा, मैं सचमुच में अनीता जी को ही कॉल किया था और मेरा इरादा किसी को परेशान करने का नहीं था। और मैं परेशान कर भी नही सकता।”

तभी वह लड़की बोल पड़ी, “क्यों? इतना ही अच्छे हैं तो मुझे क्यों कॉल किया?”

मैं अपनी बात को कंटिन्यू करते हुए कहा, “क्योंकि मैं खुद ही परेशान हूँ। पिछले चार महीने से मेरे पास जॉब नहीं है। और खाने तक के लिए पैसे नहीं है। आज जॉब के सिलसिले में ही कॉल किया था। शायद परेशानी में इन्सान घबरा कर और भी गलती कर देता है। चलिए छोड़े ये बताईये की मेरी गलती की क्या सजा है?”

“अभी तो मैं सो रही थी शाम को मुझे कॉल कीजिये तो मैं आपको बताती हूँ आपकी सजा।” वह लड़की बोलकर के कॉल को डिसकनेक्ट कर दी। वैसे तो मैं कभी लड़कियों से बात करना पसंद नहीं करता था लेकिन न जाने क्यों मुझे उस लड़की की आवाज़ बहुत प्यारी लगी थी।

कॉल रखने के बाद मैंने नंबर चेक किया तो एक नंबर का मिस्टेक हो गया था। फिर मैं नंबर को सही करके कॉल किया तो इस बार अनीता जी को ही नंबर लगा। उनसे मैंने जॉब से रिलेटेड बात किया और फिर कॉल रख दिया।

पर न जाने क्यों मैं शाम का इंतज़ार करने लगा। एक अजीब सी बेचैनी थी। फिर मैं अपने एक दोस्त की तरफ चला गया लेकिन फिर भी मेरा ध्यान उस लड़की की आवाज़ की तरफ था। जैसे अभी भी उसकी आवाज़ मेरी कानों में गूंज रही हो। कितनी प्यारी आवाज़ थी। मेरे कान फिर से उस आवाज़ को सुनना चाहते थे। दोस्त के यहाँ से मैं रेलवे स्टेशन चला गया। यह एक बहुत ही छोटा सा स्टेशन है इसलिए यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं होता है। कुछ देर तक वहां बैठा रहा। फिर वापस रूम पर आ गया। सोचते – सोचते थोड़ी देर बाद सो गया था। जब नींद खुला तो सात बज रहा था। मैं फ्रेश होने चला गया और फिर वापस आया तो उस लड़की का मिस्ड कॉल पड़ा हुआ था। एक मेसेज भी था, मैं आपसे रात में ग्यारह बजे के बाद बात करूँगीं। मैंने रिप्लाई में ओके लिख कर भेज दिया। इसके बाद मैं डिनर रेडी करने में लग गया। रात के तकरीबन सवा ग्यारह बजे उसका कॉल आया। मेरा दिल जोर से धड़कने लगा।

मैंने कॉल को पिक किया और बोला, “हेल्लो” ……………

एक बेवफा लड़की जिस पर हमारे कहानी के नायक ने बिलीव किया, एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, चार चार प्यार किया था और अंत उसने हमारे नायक से मिली और उससे कहा की उसे पहली बार प्यार हुआ है। ….. लेकिन फिर एक जबर्जस्त मोड़ आता है, अगर आपने कभी किसी से प्यार किया है तो इस बुक को जरुर पढ़ें।

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