एक खुबसूरत टकराव । Ek Khubsurat Takrav । Sahil Hasan ।

Ek Khubsurat Takrav

जब मैं उसे पहली बार देखा तो एक भेड़ के बच्चे को उठाये भाग रही थी और मुझसे आकर बहुत जोर से टकराई। मैं किसी तरह से खुद संभाला था। लेकिन फिर भी मैं भी गिर गया और वह भी गिर गयी थी। थोड़ी कोशिश के बाद वह खड़ी हुई गुस्से में लाल – पीली होते हुए पर अचानक मेरे चेहरे पर नज़र पड़ते ही खामोश हो गयी।

मैं उसे बोलने लगा, “मैडम, आप देखकर नहीं चल सकती थी क्या?”

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