aakhir kyon
समय का काम है चलते रहना। यह सोचते हुए रेहान, जो सिर्फ छः साल का था, एक दोपहर अपने घर से बाहर निकल पड़ा। सूरज आसमान में चमक रहा था, और उसकी गर्मी से सभी पेड़-पौधे झुलस रहे थे, लेकिन रेहान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसकी सोच कहीं और थी।
वह एक छोटी-सी पगडंडी पर चलने लगा। छोटे-छोटे कदम उठाते हुए, वह अपने ख्यालों में खोया था। उसे इस बात का बिल्कुल भी फिक्र नहीं था कि उसकी मां घर पर उसे खोजने के लिए परेशान होंगी। उसके विचार उसकी माँ के साथ एक दिलचस्प सवाल पर घूम रहे थे: “माँ हमेशा अनवर को इतना प्यार क्यों करती है?”
अनवर उसका बड़ा भाई था, और रेहान को लगता था कि अनवर खुद का ध्यान रखने में सक्षम है। “वह तो बड़ा है, फिर भी माँ उसे ही इतना प्यार करती हैं।” उसने सोचा। उसकी आँखों में आंसू थे, और वह गुस्से में ब murmured, “क्यों माँ ने कभी मुझे तो खाना नहीं दिया? सिर्फ अनवर के लिए वह मिठाई, नए कपड़े और खिलौने लाती हैं। और जब मैं अनवर से कुछ मांगता हूँ, तो वह मुझे झिड़क देती हैं।”
उसकी आँखों के सामने एक तस्वीर उभर गई, जब वह अनवर के लिए माँ द्वारा लाए गए नए खिलौने देख रहा था। उसे यह भी याद आया कि जब कभी वह अनवर से कुछ लेना चाहता, तो उसकी माँ हमेशा उसे डांट देती। “क्या वास्तव में माँ को मेरा कोई ख्याल नहीं है?” यह सवाल उसके दिल को चुभ रहा था।
सोचते-सोचते, रेहान पगडंडी पर चलता रहा। उसकी नज़र आसमान में थी, और उसकी सोच ने उसे हल्की-सी चिंता में डाल दिया था। लेकिन चलते रहने का उसका इरादा दृढ़ था। “मैं अनवर से बड़ा नहीं हूँ, लेकिन मैं अभी भी अपने तरीके से माँ का प्रेम पाने की कोशिश कर सकता हूँ।”
थोड़ी देर में, उसने एक बगीचे की दिशा में पहला कदम बढ़ाया। बगीचे में कई रंग-बिरंगे फूल खिले थे। वहाँ बच्चों का एक समूह खेल रहा था। उन्हें देखकर रेहान के मन में खेलने की इच्छा जाग उठी। खेलते हुए, उसने अपने गुस्से को भुला दिया और उन बच्चों के साथ जुड़ गया।
वहाँ खेलने के बाद, उसे एहसास हुआ कि अनवर के लिए माँ का प्रेम केवल उसे ज्यादा प्यार करने से नहीं होता, बल्कि वह अपने हर बच्चे का ध्यान रखने की कोशिश करती हैं। वह अपने छोटे भाई के रूप में उसे अपने प्यार में शामिल करना चाहती हैं।
कुछ घंटे खेलने के बाद, रेहान ने तय किया कि अब घर लौटने का समय है। जब वह घर पहुँचा, तो उसकी माँ उसे खोजते हुए बाहर आ रहीं थीं। उन्होंने उसे देख लिया और उसके चेहरे पर चिंता की रेखाएँ चली गईं।
“रेहान! तुम कहाँ थे? मैं कितनी चिंतित थी तुम्हारे लिए!” माँ ने आवाज में प्यार और चिंता के साथ कहा।
रेहान ने कहा, “माँ, मुझे लगा कि आप सिर्फ अनवर का ही ध्यान रखती हैं। लेकिन अब मुझे समझ आ गया है कि आप सबका ख्याल रखती हैं।”
माँ ने उसे गले लगाया और कहा, “बेटा, तुम मेरी आँखों की चमक हो। तुम्हारा और अनवर का प्यार मेरे लिए अलग-अलग है, लेकिन दोनों ही मेरे दिल में हैं।”
वह पल रेहान के लिए जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण सबक था। समय हमेशा चलता है, और कभी-कभी हमें उसके साथ चलने के लिए अपने आस-पास की चीजों को समझना जरूरी होता है। उस दिन रेहान ने सीखा कि प्यार बांटने का तरीका कई तरह का हो सकता है, और उसे अपनी माँ का सच्चा प्रेम समझ आया।
इस अनुभव के बाद, उसने अपनी माँ के लिए और भी प्यार से व्यवहार करना शुरू किया, और उनके बीच का संबंध और मजबूत हो गया। अब वह जानता था कि हमेशा चलने का अर्थ केवल शारीरिक रूप से चलना नहीं है, बल्कि अपने दिल से भी आगे बढ़ना और अपने रिश्तों को समझना भी जरूरी है।