शब-ए-बारात की रात: क्या पढ़ें? | Shabe e barat ki raat kya padhen

शब-ए-बारात की रात: क्या पढ़ें?

शब-ए-बारात का महत्व:
शब-ए-बारात इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शाबान की 15वीं रात है। यह रात खासतौर से अल्लाह की रहमत और मेहरबानी प्राप्त करने का अवसर माना जाता है। मुस्लिम कम्युनिटी में इसे दरगुज़री और मगफिरत की रात भी कहा जाता है। इस रात में अल्लाह अपने बंदों की दुआओं को सुनता है और उनको मुआफ़ करता है। लोग इस अवसर का फायदा उठाने के लिए नफिल नमाज, तिलावत और दुआ में मशगूल रहते हैं।

शब-ए-बारात की रात क्या पढ़ें?

1. कुरान की तिलावत:

  • शब-ए-बारात की रात में सबसे महत्वपूर्ण कार्य कुरान की तिलावत करना है। कुरान की सूरहें पढ़ने से इंसान को दिमागी और रूहानी इत्मिनान मिलता है।
  • आप खासतौर से नीचे लिखी सूरह पढ़ सकते हैं:
    • सूरत अल-फातिहा: यह कुरान की पहली सूरह है और इसकी खास अहमियत है।
    • सूरत अल-इखलास: यह एक छोटी लेकिन बहुत महत्वपूर्ण सूरह है, जो अल्लाह के एक होने की बात बताता है।
    • सूरत अल-फलक और सूरत अल-नास: ये सूरह सुरक्षा और शरण के लिए पढ़ी जाती हैं।

2. नफिल नमाज:

  • इस रात में नफिल नमाज अदा करना बहुत फायदेमंद माना जाता है।
  • आप 2 रकात से शुरू कर सकते हैं और अपनी इच्छानुसार अधिक रकात अदा कर सकते हैं।
  • नमाज के बाद दुआ करें और अपनी इच्छाओं की पूर्णता के लिए अल्लाह से प्रार्थना करें।

3. विशेष दुआएं:

  • इस रात में कुछ प्रमुख दुआएं और निवेदन हैं, जिन्हें पढ़ना चाहिए।
  • अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुका अल-जन्नाह व औज़ुबिका मिन नारी: इसका अर्थ है “हे अल्लाह, मैं आपसे जन्नत (स्वर्ग) की दरख्वास्त करता हूँ और आग (नरक) से आपकी शरण मांगता हू।”
  • रब्बिगफिरली: “हे मेरे रब, मुझे माफ कर दो”।

4. मगफिरत की दुआ:

  • इस रात में अपने गुनाहों के लिए दुआ कर खासतौर पर अपनी और दूसरों की मगफिरत की गुज़ारिश करें।
  • आप किसी भी भाषा में, अपने शब्दों में दुआ कर सकते हैं।

5. इफ्तार के समय की तिलावत:

  • शाम के वक्त जब सूरज अस्त हो रहा होता है, तब दुआ और तिलावत का विशेष महत्व होता है।
  • इस समय “अल्हम्दुलिल्ला” और “अल्लाहु अकबर” का जिक्र करें, इसके बाद अपनी दुआएं प्रस्तुत करें।

6. तशहुद (अल्हम्द) और सलाम:

  • नमाज के बाद तशहुद अदा करें, जिसमें आप अल्लाह की तारीफ करते हैं और सलाम पढ़ते हैं।

इस रात का उद्देश्य:

शब-ए-बारात के दौरान इबादत करने का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत मगफिरत (क्षमा) नहीं है, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारे और सहयोग बढ़ाना है। यह रात हमें अपने रिश्तों के सुधार के लिए भी प्रेरित करती है, ताकि हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकें।

निष्कर्ष:
शब-ए-बारात की रात दुआ, तिलावत और इबादत का विशेष मौका है। हमें इस रात का सही इस्तेमाल करना चाहिए, अल्लाह से क्षमा मांगते हुए और दूसरों के लिए भी दुआ करते हुए। सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम अपनी इबादत को ईमानदारी से करें और वास्तविकता में अल्लाह से जोड़ी भावना को महूस करें।

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