My Silence
ख़ामोशी! यह एक छोटा-सा शब्द है, लेकिन इसका मतलब बहुत बड़ा है। कभी-कभी ख़ामोशी में इतनी गहराई होती है कि वह हजारों शब्दों का मर्म समझा देती है।
जब सब कुछ ठीक चलता है, और आपसे कोई खास इंसान आपके पास होता है, तो ख़ामोशी एक सुखद अहसास बन जाती है। वह पल एक साथ बैठकर बस एक-दूसरे की आँखों में देखने का होता है, जहाँ शब्दों की जरूरत नहीं पड़ती। सब कुछ यूं ही समझ में आ जाता है। यह ख़ामोशी उस प्यार और समझ की निशानी होती है जो आपके दिलों में बसती है।
लेकिन जब ख़ामोशी गलत समय पर होती है, तो उसका उतना ही भयानक असर पड़ सकता है। जैसे किसी रिश्ते में जब शब्दों की आवश्यकता हो, तब अगर सामने वाला केवल चुप्पी बनाए रखता है, तो वह एक गहरा जख्म दे सकता है। ऐसे में ख़ामोशी का मतलब होता है हृदय की दूरियों का बढ़ना, अनकही बातें जो कभी दूरियों का कारण बन जाती हैं।
रणभूमि में दुश्मन समाने के साथ जब कोई खामोशी, जब कोई सन्नाटा छा जाता है, तब वह एक खौफनाक माहौल की ओर इशारा करता है। यह आत्मा के भीतर एक अजीब सा डर उत्पन्न करता है। ऐसे समय ख़ामोशी केवल खौफ या अनिश्चितता की पैगाम होती है।
इसलिए, ख़ामोशी का सही समय पर इख्तियार करना सबसे अच्छा है। एक मीठी ख़ामोशी, जहाँ हम अपने जज़्बात को समझते हैं, और एक मन की शांति का अनुभव करते हैं। लेकिन अगर वह ख़ामोशी गलत समय पर हो जाए, तो इससे बुरा कुछ नहीं है। अंदर की बातें, दिल की कसक, और बातें जो होनी चाहिए थीं, सब कुछ अनकहा रह जाता है।
ख़ामोशी के इस खेल में समझ और वक्त की अहमियत होती है। कभी ख़ामोशी ख़ुशियों की गहराई में डूबी होती है, तो कभी इससे दिल को ठेस भी लग सकती है। इसीलिए, हमें हमेशा यह समझना चाहिए कि ख़ामोशी का सही समय जानना बेहद जरूरी है।