चंद्रमा का घटना-बढ़ना | chandrama ghatta badhta kyon hai

चंद्रमा का घटना-बढ़ना (चंद्र कला परिवर्तन) एक प्राकृतिक घटना है जो चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच होने वाली सापेक्ष स्थिति के कारण होती है। इसे चंद्र कला (Lunar Phases) कहा जाता है। यह घटना चंद्रमा के सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होने वाले भाग और पृथ्वी से दिखाई देने वाले भाग में परिवर्तन के कारण होती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:


1. चंद्रमा की कलाएं (Lunar Phases)

चंद्रमा की कलाएं निम्नलिखित चरणों में बदलती हैं:

  1. अमावस्या (New Moon): चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच होता है। इस समय चंद्रमा का प्रकाशित भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता।
  2. वर्धमान चंद्र (Waxing Crescent): चंद्रमा का एक छोटा सा भाग दिखाई देने लगता है।
  3. प्रथम अर्धचंद्र (First Quarter): चंद्रमा का आधा भाग दिखाई देता है।
  4. वर्धमान गिबस (Waxing Gibbous): चंद्रमा का अधिकांश भाग दिखाई देता है।
  5. पूर्णिमा (Full Moon): चंद्रमा पूरी तरह से प्रकाशित होता है और पृथ्वी से पूरा दिखाई देता है।
  6. कृष्ण पक्ष की ओर (Waning Gibbous): चंद्रमा का प्रकाशित भाग धीरे-धीरे कम होने लगता है।
  7. अंतिम अर्धचंद्र (Last Quarter): चंद्रमा का आधा भाग फिर से दिखाई देता है।
  8. क्षीण चंद्र (Waning Crescent): चंद्रमा का एक छोटा सा भाग दिखाई देता है, और फिर अमावस्या की ओर बढ़ता है।

2. चंद्रमा के घटने-बढ़ने का कारण

चंद्रमा के घटने-बढ़ने का मुख्य कारण चंद्रमा की कक्षीय गति और सूर्य के प्रकाश का परावर्तन है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित है:

  1. चंद्रमा की कक्षा: चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक अंडाकार कक्षा में घूमता है। इसे पूरा करने में लगभग 29.5 दिन लगते हैं। इस अवधि को चंद्र मास कहा जाता है।
  2. सूर्य का प्रकाश: चंद्रमा स्वयं प्रकाश उत्पन्न नहीं करता है। यह सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है, तो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होने वाला उसका भाग बदलता रहता है।
  3. पृथ्वी से दृश्य: पृथ्वी से हमें चंद्रमा का वही भाग दिखाई देता है जो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। जैसे-जैसे चंद्रमा की स्थिति बदलती है, वैसे-वैसे उसका प्रकाशित भाग भी बदलता है।

3. चंद्रमा की कलाओं का चक्र

चंद्रमा की कलाओं का चक्र निम्नलिखित चरणों में पूरा होता है:

  1. अमावस्या से पूर्णिमा (वर्धमान चंद्र): चंद्रमा का प्रकाशित भाग धीरे-धीरे बढ़ता है।
  2. पूर्णिमा से अमावस्या (कृष्ण पक्ष): चंद्रमा का प्रकाशित भाग धीरे-धीरे घटता है।

4. चंद्र ग्रहण और चंद्र कलाएं

  • चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो चंद्र ग्रहण होता है। यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन होती है।
  • चंद्र कलाएं: यह एक नियमित प्रक्रिया है जो हर महीने होती है, जबकि चंद्र ग्रहण एक दुर्लभ घटना है।

5. महत्वपूर्ण तथ्य

  • चंद्रमा का केवल एक ही भाग पृथ्वी की ओर होता है, क्योंकि चंद्रमा की घूर्णन गति और परिक्रमण गति समान है। इसे टाइडल लॉक (Tidal Locking) कहा जाता है।
  • चंद्रमा की कलाएं पृथ्वी पर ज्वार-भाटा (Tides) को प्रभावित करती हैं।

निष्कर्ष

पृथ्वी का चक्कर लगाते समय चंद्रमा का जो भाग सूर्य के सामने होता है चंद्रमा का वही भाग हमें चमकता हुआ दिखाई देता है और बाकी भाग में अंधेरा होता है। जो काले आकाश में दिखाई नहींं देता है यही कारण है कि चंद्रमा का आकार घटता बढ़ता दिखाई देता है।

चंद्रमा का घटना-बढ़ना एक प्राकृतिक और वैज्ञानिक घटना है, जो चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच होने वाली सापेक्ष गति के कारण होती है। यह प्रक्रिया हमें चंद्रमा की सुंदरता और प्रकृति के नियमों को समझने का अवसर देती है। 😊

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